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Showing posts from November 24, 2014

शंकरो शंकर साक्षात्

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                    शंकरो शंकर साक्षात्  दक्षिण भारत में स्थित केरल राज्य का कालड़ी गांव...जहां सन् 788ईं में एक ऐसी दिव्य आत्मा अवतरित हुई... जिसके ज्ञान रूपी दिव्य प्रकाश ने पूरे भारत से अज्ञानता के अंधकार को हमेशा-हमेशा के लिए दूर कर दिया...कहा जाता है कि इस महाज्ञानी शक्तिपुंज के रूप में स्वयं भगवान शंकर इस धरती पर प्रकट हुए थे... शिवगुरू नामपुद्रि के यहां विवाह के कईं साल बाद भी कोई संतान नहीं हुई...भगवान भोलेनाथ शिवगुरू के ईष्ट गुरू थे.. इसलिए उसने पुत्र प्राप्ति की कामना के लिए अपनी पत्नी विशिष्टादेवी के साथ कईं सालों तक भगवान शंकर की कठोर आराधना की... शिवगुरू और विशिष्टादेवी की भक्ति से प्रसन्न होकर देवाधिदेव महादेव ने शिवगुरू को स्वप्न में दर्शन दिए और वर मांगने को कहा...शिवगुरु ने अपने ईष्ट गुरू से वरदान स्वरूप एक दीर्घायु सर्वज्ञ पुत्र मांगा...लेकिन भगवान शंकर ने उन्हें कहा कि... वत्स दीर्घायु पुत्र सर्वज्ञ नहीं होगा और सर्वज्ञ पुत्र दीर्घायु नहीं होगा...बोलो तुम कौन सा पुत्र चाहते हो...तब धर्मप्राण शिवगुरू ने सर्वज्ञ पुत्र की याचना की...औघड़दानी भगवान शिव ने क

सूर्यदेव के 21 नामों की महिमा -Lord Sun

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भगवान सूर्य इस प्रकृति में एक मात्र साक्षात् प्रकट देव हैं...जो संसार को ऊर्जा प्रकाश के साथ साथ गति भी प्रदान करते हैं....शास्त्रों में सूर्य स्तोत्र से सूर्य आराधना का विधान बताया गया है जो साधक को विशेष फल की प्राप्ति कराता है....भगवान सूर्य की पूजा उपासना आरोग्यदाता को वरदान दिलाती है.... 18 पुराणों में से एक ब्रह्म  पुराण में बताये गये सूर्य स्तोत्र के 21 शुभ और surya dev गोपनीय मानों का जिक्र मिलता है...कहते हैं भगवान आदित्य के इन नामों का जाप करना भर से मानव के सारे रोग और सारे पाप कट जाते हैं साथ ही मानव को परमगति की प्राप्ति होती है....ब्रह्म पुराण में बताया गया है.... विवर्तनो विविस्वाश्च मार्तंडो भास्करो रविः लोक प्रकाशकः श्री माँल्लोक चक्षुर्मुहेश्वरः लोकसाक्षी त्रिलोकेशः कर्ता हर्ता तमिश्रहा तपनस्तापनश्चैव शुचिः सप्ताश्ववाहनः गभस्तिहस्तो ब्रह्मा च सर्वदेवनमस्कृतः एकविंशतिरित्येष स्तव ईष्टः सदा रवे यानी ब्रह्म पुराण में भगवान सूर्य के जो 21 नाम बताए गए हैं वो हैं विवर्तन विवस्वान मार्तंड भास्कर रवि लोकप्रकाशक श्रीमान लोकच